सच्ची कहानी आपके साथ शेयर कर रहा हूँ, यह मेरी पहली कहानी मेरी और मेरी सगी भाभी की है।
मेरे भैया मुझसे 6 साल बड़े हैं, उनका नाम सूरज है, उनकी शादी करीब पाँच साल पहले मेरी भाभी निशा से हुई थी, अब उनकी दो साल की बच्ची है।
हमारा घर शहर से 10 किमी दूर गाँव में है और मेरे भैया बैंक में सरकरी नौकरी में है। मेरे पिताजी अब काफ़ी बुजुर्ग हो गये हैं और खेती सम्भालते हैं, मैं आपको बता दूँ, हमारे पास हमारे पुरखों की बहुत जायजाद है और हम लोगों को पैसों की कोई भी कमी नहीं है।
मेरी एक बड़ी बहन भी है जो मुझसे 6 साल बड़ी है और उनकी शादी करीब 6 साल पहले हो चुकी है और अब उनके 2 बच्चे भी हैं। मेरी दीदी की उम्र करीब 30 साल होगी वो एक बहुत ही सुन्दर औरत है, उनका रंग गोरा है और दो बच्चे होने के बाद भी अपना फ़िगर मेन्टेन करके रखा है, उनके बड़े बड़े चूचे और गोल गोल चूतड़ देखकर तो किसी का भी मन ललचा सकता है।
और मेरे जीजाजी तो मेरी दीदी को बहुत प्यार करते हैं, आप तो समझ ही सकते हैं कि मेरे जीजाजी रोज रात को मेरी दीदी की क्या हालत करते होंगे।
आज से 3 महीने पहले मैं अपने दीदी के घर गया था क्योंकि मुझे अपनी दीदी और उनके बच्चों को लेकर अपने घर आना था। जीजाजी एक प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं, अक्सर कम्पनी के काम से टुअर पर जाते रहते हैं और अगले दिन भी उन्हें किसी काम से बाहर जाना था।
कि उस दिन मैंने अपने जीजाजी और दीदी को चुदाई करते देखा, मेरे जीजाजी मेरी दीदी को जानवरों की तरह चोद रहे थे और दीदी मस्त होकर अपन गाण्ड उछाल उछाल कर उनका साथ दे रही थी। यह देखकर तो मेरा लण्ड फ़ुन्कार मारने लगा लेकिन वो मेरी दीदी थी और अपने पति से चुदवा रही थी, यह सोचकर मेरे मन में मेरी दीदी के लिये कोइ गलत विचार नहीं आया लेकिन फ़िर भी मैंने उस दिन अपने दीदी के नाम का मुठ मारी और मुझे बहुत मजा आया।
अब मैं दीदी को लेकर अपने घर आ चुका था। दीदी बहुत दिन बाद आई थी इस्लिये घर में सब बहुत खुश थे, हम सबने मिलकर उस दिन खूब मौज मस्ती की और अब रात को खाना खाने के बाद भी हम सब हंसी मजाक कर रहे थे, रात के 10 बज चुके थे, तभी भैया बोले- अब मैं सोने जा रहा हूँ, मुझे ओफ़िस के लिये सुबह जल्दी जाना होता है।
वो और मेरी भाभी सोने के लिये अपने कमरे में चले गये। अब हमें भी नीन्द आ रही थी तो हमने सोचा कि अब हमें भी सोना चाहिये, मेरे पिताजी और माँ पहले ही सो चुके थे और मेरी दीदी और उनके बच्चों का बिस्तर मेरे ही कमरे में लगाया गया था।
मेरा घर गाँव में था जिसके कारण वहाँ लाईट की समस्या बनी रहती है, उस दिन भी लाईट नहीं थी लेकिन लैम्प की रोशनी से कमरे में हल्का उजाला था, करीब दो घण्टे बीत चुके थे, मुझे नीन्द नहीं आ रही थी लेकिन फिर भी मैं सोने का नातक कर रहा था।
तभी मैंने देखा कि दीदी अभी भी जाग रही है, वो अपने बेड पर अकेली सो रही थी और एक पतली सी चादर ओढ़ रखी थी, उनके बच्चे दूसरे बेड पर सो रहे थे जो उसी कमरे में था, मैं अपने बेड पर सोया हुआ था।
तभी मैंने देखा कि दीदी के मोबाईल पर एक फोन आया, यह देखकर दीदी खुश हो गई और फोन पर बात करने लगी, उन्होंने मुड़कर मेरी तरफ़ देखा, उन्हें लगा कि मैं शायद सो चु्का हूँ, उन्होंने बात करना जारी रखा और चुदाई की बात करने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी, मैं चुपचाप उनकी बातें सुनने लगा।
फिर मैंने देखा कि दीदी अब धीरे धीरे अपने हाथों से अपने बूब्स को सहला रही हैं, मुझे लगा कि दीदी जीजाजी से बात कर रही हैं।
तभी मैंने दीदी को यह कहते हुये सुना कि रोज रोज एक ही खाना किसे अच्छा लगता है, टेस्ट तो बदलना ही चाहिये।
मुझे यह बात समझ में नहीं आई खैर मैं आपको बता दूँ कि उस दिन दीदी ने सोने से पहले काली नाईटी पहनी थी जो उनके घुटनों के ऊपर तक थी जिसे पहन कर दीदी चुदाई की देवी लग रही थी, देखकर मेर भी लण्ड खड़ा हो चुका था।
अब मैंने देखा कि दीदी फोन सेक्स कर रही थी और बहुत उत्तेजित हो गई थी, बोल रही थी- जल्दी डालो… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा!
और अपनी एक उन्गली को अपनी चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर कर रही थी।
फिर मैंने देखा कि अब दीदी शान्त हो गई हैं, शायद अब वो झड़ चुकी थी लेकिन ये सब सुनकर और देखकर मेरा लौड़ा भी खड़ा होकर लोहे जैसा हो गया था और मैं अपने हाथ से अपना लण्ड सहला रहा था, तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी मार दी और मेरा लण्ड शान्त हुआ लेकिन दीदी अभी भी फोन पर बात कर रही थी।
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तभी मैंने दीदी को ये कहते सुना कि ‘मनोज तुम्हारा लण्ड तो तुम्हारे भैया के लण्ड से भी ज्यादा मजा देता है!’
और मैंने यह कहते हुये भी सुना कि ‘जब साली आधी घरवाली हो सकती है तो देवर आधा पति क्यो नहीं हो सकता।’
अब मैं पूरी बात समझ चुका था कि दीदी जीजाजी से नहीं बल्कि अपने देवर से बात कर रही हैं, अब मैं पूरी बात सुनने के लिये उत्तेजित हो रहा था लेकिन मैं क्या कर सकता था।
यह सोचते सोचते मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला, जब मैं सुबह उठा तो सब लोग उठ चुके थे और दीदी भी अपने कमरे में नहीं थी, वो भी उठ चुकी थी।
तभी मेरी नजर उनके मोबाईल पर पड़ी जो उनके बेड पर रखा हुआ था। मैंने उसे झट से उठाया और काल रिकोर्ड चेक करने लगा।
तभी मैंने देखा कि उनके मोबाईल में सारे काल रिकॉर्डेड थे।
मैंने तुरन्त ही उन सारे रिकॉर्डेड काल्ज़ को अपने मोबाईल में सेन्ड कर लिया और उनके मोबाइल को बेड पर वापस रख दिया।
और जब बाद में मैंने उन्हें सुना तब मुझे पता चला कि दीदी जीजाजी की गैरहाजिरी में अपने देवर से चुदवाती हैं।
उस दिन मुझे पता चला कि शरीर की जरूरत रिश्तों से कहीं बढ़ कर होती है।
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, फिर दीदी को वापस ले जाने के लिये जीजाजी आ गये और दीदी अपने घर चली गई।
लेकिन अब मेरे अन्दर का जानवर जाग चुका था और मुझे अपने लण्ड की आग को बुझाने के लिये एक चूत कि जरूरत महसूस होने लगी।
कहानी जारी रहेगी।
मेरे भैया मुझसे 6 साल बड़े हैं, उनका नाम सूरज है, उनकी शादी करीब पाँच साल पहले मेरी भाभी निशा से हुई थी, अब उनकी दो साल की बच्ची है।
हमारा घर शहर से 10 किमी दूर गाँव में है और मेरे भैया बैंक में सरकरी नौकरी में है। मेरे पिताजी अब काफ़ी बुजुर्ग हो गये हैं और खेती सम्भालते हैं, मैं आपको बता दूँ, हमारे पास हमारे पुरखों की बहुत जायजाद है और हम लोगों को पैसों की कोई भी कमी नहीं है।
मेरी एक बड़ी बहन भी है जो मुझसे 6 साल बड़ी है और उनकी शादी करीब 6 साल पहले हो चुकी है और अब उनके 2 बच्चे भी हैं। मेरी दीदी की उम्र करीब 30 साल होगी वो एक बहुत ही सुन्दर औरत है, उनका रंग गोरा है और दो बच्चे होने के बाद भी अपना फ़िगर मेन्टेन करके रखा है, उनके बड़े बड़े चूचे और गोल गोल चूतड़ देखकर तो किसी का भी मन ललचा सकता है।
और मेरे जीजाजी तो मेरी दीदी को बहुत प्यार करते हैं, आप तो समझ ही सकते हैं कि मेरे जीजाजी रोज रात को मेरी दीदी की क्या हालत करते होंगे।
आज से 3 महीने पहले मैं अपने दीदी के घर गया था क्योंकि मुझे अपनी दीदी और उनके बच्चों को लेकर अपने घर आना था। जीजाजी एक प्राइवेट कम्पनी में काम करते हैं, अक्सर कम्पनी के काम से टुअर पर जाते रहते हैं और अगले दिन भी उन्हें किसी काम से बाहर जाना था।
कि उस दिन मैंने अपने जीजाजी और दीदी को चुदाई करते देखा, मेरे जीजाजी मेरी दीदी को जानवरों की तरह चोद रहे थे और दीदी मस्त होकर अपन गाण्ड उछाल उछाल कर उनका साथ दे रही थी। यह देखकर तो मेरा लण्ड फ़ुन्कार मारने लगा लेकिन वो मेरी दीदी थी और अपने पति से चुदवा रही थी, यह सोचकर मेरे मन में मेरी दीदी के लिये कोइ गलत विचार नहीं आया लेकिन फ़िर भी मैंने उस दिन अपने दीदी के नाम का मुठ मारी और मुझे बहुत मजा आया।
अब मैं दीदी को लेकर अपने घर आ चुका था। दीदी बहुत दिन बाद आई थी इस्लिये घर में सब बहुत खुश थे, हम सबने मिलकर उस दिन खूब मौज मस्ती की और अब रात को खाना खाने के बाद भी हम सब हंसी मजाक कर रहे थे, रात के 10 बज चुके थे, तभी भैया बोले- अब मैं सोने जा रहा हूँ, मुझे ओफ़िस के लिये सुबह जल्दी जाना होता है।
वो और मेरी भाभी सोने के लिये अपने कमरे में चले गये। अब हमें भी नीन्द आ रही थी तो हमने सोचा कि अब हमें भी सोना चाहिये, मेरे पिताजी और माँ पहले ही सो चुके थे और मेरी दीदी और उनके बच्चों का बिस्तर मेरे ही कमरे में लगाया गया था।
मेरा घर गाँव में था जिसके कारण वहाँ लाईट की समस्या बनी रहती है, उस दिन भी लाईट नहीं थी लेकिन लैम्प की रोशनी से कमरे में हल्का उजाला था, करीब दो घण्टे बीत चुके थे, मुझे नीन्द नहीं आ रही थी लेकिन फिर भी मैं सोने का नातक कर रहा था।
तभी मैंने देखा कि दीदी अभी भी जाग रही है, वो अपने बेड पर अकेली सो रही थी और एक पतली सी चादर ओढ़ रखी थी, उनके बच्चे दूसरे बेड पर सो रहे थे जो उसी कमरे में था, मैं अपने बेड पर सोया हुआ था।
तभी मैंने देखा कि दीदी के मोबाईल पर एक फोन आया, यह देखकर दीदी खुश हो गई और फोन पर बात करने लगी, उन्होंने मुड़कर मेरी तरफ़ देखा, उन्हें लगा कि मैं शायद सो चु्का हूँ, उन्होंने बात करना जारी रखा और चुदाई की बात करने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी, मैं चुपचाप उनकी बातें सुनने लगा।
फिर मैंने देखा कि दीदी अब धीरे धीरे अपने हाथों से अपने बूब्स को सहला रही हैं, मुझे लगा कि दीदी जीजाजी से बात कर रही हैं।
तभी मैंने दीदी को यह कहते हुये सुना कि रोज रोज एक ही खाना किसे अच्छा लगता है, टेस्ट तो बदलना ही चाहिये।
मुझे यह बात समझ में नहीं आई खैर मैं आपको बता दूँ कि उस दिन दीदी ने सोने से पहले काली नाईटी पहनी थी जो उनके घुटनों के ऊपर तक थी जिसे पहन कर दीदी चुदाई की देवी लग रही थी, देखकर मेर भी लण्ड खड़ा हो चुका था।
अब मैंने देखा कि दीदी फोन सेक्स कर रही थी और बहुत उत्तेजित हो गई थी, बोल रही थी- जल्दी डालो… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा!
और अपनी एक उन्गली को अपनी चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर कर रही थी।
फिर मैंने देखा कि अब दीदी शान्त हो गई हैं, शायद अब वो झड़ चुकी थी लेकिन ये सब सुनकर और देखकर मेरा लौड़ा भी खड़ा होकर लोहे जैसा हो गया था और मैं अपने हाथ से अपना लण्ड सहला रहा था, तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी मार दी और मेरा लण्ड शान्त हुआ लेकिन दीदी अभी भी फोन पर बात कर रही थी।
यह कहानी आप hskworld पर पढ़ रहे हैं !
तभी मैंने दीदी को ये कहते सुना कि ‘मनोज तुम्हारा लण्ड तो तुम्हारे भैया के लण्ड से भी ज्यादा मजा देता है!’
और मैंने यह कहते हुये भी सुना कि ‘जब साली आधी घरवाली हो सकती है तो देवर आधा पति क्यो नहीं हो सकता।’
अब मैं पूरी बात समझ चुका था कि दीदी जीजाजी से नहीं बल्कि अपने देवर से बात कर रही हैं, अब मैं पूरी बात सुनने के लिये उत्तेजित हो रहा था लेकिन मैं क्या कर सकता था।
यह सोचते सोचते मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला, जब मैं सुबह उठा तो सब लोग उठ चुके थे और दीदी भी अपने कमरे में नहीं थी, वो भी उठ चुकी थी।
तभी मेरी नजर उनके मोबाईल पर पड़ी जो उनके बेड पर रखा हुआ था। मैंने उसे झट से उठाया और काल रिकोर्ड चेक करने लगा।
तभी मैंने देखा कि उनके मोबाईल में सारे काल रिकॉर्डेड थे।
मैंने तुरन्त ही उन सारे रिकॉर्डेड काल्ज़ को अपने मोबाईल में सेन्ड कर लिया और उनके मोबाइल को बेड पर वापस रख दिया।
और जब बाद में मैंने उन्हें सुना तब मुझे पता चला कि दीदी जीजाजी की गैरहाजिरी में अपने देवर से चुदवाती हैं।
उस दिन मुझे पता चला कि शरीर की जरूरत रिश्तों से कहीं बढ़ कर होती है।
कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा, फिर दीदी को वापस ले जाने के लिये जीजाजी आ गये और दीदी अपने घर चली गई।
लेकिन अब मेरे अन्दर का जानवर जाग चुका था और मुझे अपने लण्ड की आग को बुझाने के लिये एक चूत कि जरूरत महसूस होने लगी।
कहानी जारी रहेगी।
मिला मौका मारा चौका (Mila Mouka Mara Chauka)
ReplyDeleteशादी से पहले साली के साथ सुहागरात
लण्ड और चूत दोनों को फायदा
चुदी प्रियंका सारी रात
प्रियंका के साथ एक रात की चुदाई
पड़ोस की लड़की की कुँवारी चूत ली
कुंवारी चूत चुदाई का आनन्दमयी खेल-1 (Bhanji Ki Kunvari Choot Chudai ka Khel-1)
कुंवारी चूत चुदाई का आनन्दमयी खेल-2 (Bhanji Ki Kunvari Choot Chudai ka Khel-2)